लॉकडाउन प्रेम रावत जी के साथ – Day 4 (24 मार्च, 2020) Hindi – audio

Mar 30, 2020

प्रेम रावत जी:

सभी श्रोताओं को मेरा नमस्कार!
आज मेरे को यह मौका मिला है आपलोगों तक इस वीडियो के द्वारा मेरा संदेश आप तक पहुंचें। तो मैं यही कोशिश करता हूँ कि जो कुछ भी मेरे हृदय में है आप तक मैं पहुंचाऊं। इन परिस्थितियों में लोग सचमुच में बहुत दुखी हैं, क्योंकि क्या करें? ये तो वो वाली बात हो गयी कि “मरता क्या नहीं करता!”
एक तरफ तो गवर्नमेंट है, कह रही है कि “ये मत करो, वो मत करो, घर में बैठे रहो!” ये लोगों की आदत नहीं है। आजकल तो ये रिवाज़ है कि बाहर जाएं, लोगों से मिलें, ये करें, वो करें। परंतु एक बात है सोचने कि आपको — ठीक है परिस्थितियां ठीक नहीं हैं, यह कोरोना वायरस है और ये सबकुछ है। आइसोलेशन जो है कि आप और लोगों से दूर रहें ताकि आप बीमार न पड़ें।
यह बहुत गंभीर बात है और सीरियस बात है। इस बात को गंभीर तरीके से लेना चाहिए। परंतु हम क्या करें ? अब एक तरफ तो जो कुछ भी हमसे कहा जा रहा है — डरने की बात है, डराने की बात है, ये मत करो, वो मत करो! नहीं तो ये हो जायेगा, नहीं तो वो हो जाएगा।
तो ये मैं कहने के लिए वीडियो नहीं बना रहा हूं। मैं यह कहने के लिए बना रहा हूँ कि आपके पास एक चीज है, आपका हृदय है, आपके अंदर एक चीज है, जो बहुत ही सुन्दर है और चाहे कोई भी बाहर परिस्थिति हो और दुःख देने वाली हो, परन्तु आपके अंदर जो चीज है, वह सुख देने वाली है, वह सुंदरता को पसंद करती है। जो — कैसी सुंदरता ? दुनिया की सुंदरता नहीं, वह आपके अंदर स्थित जो चीज है, जिसे हृदय कहते हैं। उसके अंदर वास करने वाली मधुर, वो चीज, जिसका सेवन करने से मनुष्य का हृदय और गद्गद होता है। जिसको एक्सपीरियंस करने से, जिसको महसूस करने से मनुष्य और खुश होता है और उसकी ख़ुशी दिमागी ख़ुशी नहीं है। पर वह ख़ुशी हृदय की ख़ुशी है। वह आपके अंदर है, वह सब मनुष्यों के अंदर है। चाहे कोई भी हो, कैसा भी हो, कुछ भी करता हो उसका बाहर की चीजों से कुछ भी लेना-देना नहीं है। उसका — तुम अंदर तक पहुंच सकते हो या नहीं उससे सबकुछ लेना-देना है।
मैं आजकल लोगों से कहता हूँ कि तीन चीजें करो — अगर तुम अपनी जिंदगी में कुछ नहीं कर सकते हो, तो कम से कम तीन चीजें करने की कोशिश करो। एक तो “अपने आपको जानो।” जिसका बहुत ही बड़ा महत्व है। क्योंकि जो अपने आपको नहीं जानता, उसको क्या मालूम कि वह कौन है, क्या है, काहे के लिए यहां आया है! न जानने के कारण उसके हजारों क्वेश्चनस हैं, उसके हजारों प्रश्न उठेंगे कि — मैं यहां क्या कर रहा हूँ; ऐसा कैसे हो रहा है मेरे साथ; ये कैसे हो रहा है; ये क्यों हो रहा है; ये क्यों हो रहा है; ये अच्छा क्यों है; ये बुरा क्यों है! ये सारे प्रश्न होंगें।
अगर अपने आपको नहीं जानते हैं, तो यही सबकुछ होगा, पर अगर अपने आपको आप जानते हैं, तो फिर इन चीजों से हटकर दुनिया की जो सारी चीजें हैं, जो हमेशा बदलती रहती हैं, इनसे हटकर एक और चीज है, जो आपके अंदर है, उसको आप जान सकते हैं।
तो एक, ‘अपने आपको जानिए!’ दूसरा, ‘सचेत होकर, (conscious), सचेत होकर के आप अपनी जिंदगी जीयें।’ ये नहीं है कि आँखें बंद कर ली; क्या हो रहा है; क्या नहीं हो रहा है किसी को नहीं मालूम। लोग करते हैं, आँखें बंद कर लेते हैं — ये दुःख की बात है; ये बुरा है; ये ऐसा है; ये वैसा है; मैं इसके बारे मैं कुछ जानना नहीं चाहता हूँ; मेरे को इसके बारे में कुछ मत बताओ; ये सब नकली है। लोगों के बहाने हैं — ये सब नकली है, ये अंदर की बात कुछ नहीं है;ये सबकुछ नहीं होता है।
कहानी आती है एक लोमड़ी की! एक बार एक लोमड़ी कहीं जा रही थी, तो उसने देखा कि एक टहनी पर अंगूर लगे हुए हैं, तो उसको भूख लगी।
कहा कि, “अंगूर खाऊंगी मैं, अच्छे होंगे!”
तो कूदी, तो अंगूर जहाँ लगे हुए थे, वो जगह थोड़ी ऊंची थी। तो वह कूद नहीं पायी।
फिर उसने कोशिश की कूदने की, फिर कूद नहीं पायी। फिर कूदने की कोशिश की, तो कूद नहीं पायी।
तो उसने कहा, “ना! ये अंगूर खट्टे हैं! यह अच्छे नहीं है, मेरे को नहीं चाहिए!”
तो यह बात हो जाती है लोगों की — जब नहीं पहुंच पाते है उस जगह, तो ये सब जो आप कह रहे हैं, जो मैं कह रहा हूँ कि, “ये सारी चीजें हैं!”
तो लोग कहते हैं, “ये हैं ही नहीं!” पर है!
और जबतक हम आँख नहीं खोलेंगे अपनी, क्योंकि ये आँख दुनिया को देखती है। अंदर की आँख, जो अंदर हो रहा है उसको देखेंगी। तो जब हम देख लेंगे उसको; जान लेंगें; तब हमारी जिंदगी के अंदर दूसरा रंग आएगा।
तो एक, “अपने आपको जानो, दूसरी, अपनी — ये जो जीवन है इसको सचेत होकर के, चेतना के साथ इसको बिताओ और तीसरी चीज — इस हृदय के अंदर आभार होना चाहिए — Gratitude, आभार!”
अगर ये तीन चीजें आपकी जिंदगी के अंदर हो गयीं, तो फिर वाह-वाह है! फिर आप ये नहीं कहेंगे कि, “मैं यहां क्यों हूँ ?”
फिर आप ये कहेंगे, “लाख-लाख शुक्रिया है कि मेरे को यह जीवन मिला!”
तब कोई भी परिस्थिति हो, बाहर कुछ भी हो रहा है — चाहे जंग लड़े जा रहे हैं; लड़ाईयां लड़ी जा रही हैं; कोरोना वायरस है; कोरोना वायरस नहीं है; आइसोलेशन है; आइसोलेशन नहीं है; कुछ भी हो रहा है। ऐतिहासिक समय है ये! ऐतिहासिक समय!
देखिये! ये बीस-बीस (2020) की बात हो रही है और कितनी टेक्नोलॉजी है, कितना घमंड था लोगों को, टेक्नोलॉजी, टेक्नोलॉजी, टेक्नोलॉजी, टेक्नोलॉजी,टेक्नोलॉजी!
“देखो! ऐसा फ़ोन है मेरे पास, ये मेरा ये कर देगा, ये-ये कर देगा,ये-ये कर देगा,ये-ये कर देगा!”
और मैं हमेशा ये कहता आया हूँ, ये सारी टेक्नोलॉजी, वेक्नोलॉजी तुम्हारे असली काम नहीं आएगी। असली काम जो तुम्हारा है, जो तीन चीजें अगर तुम कर पाए — एक, अपने आपको जानो, और दूसरा सचेत होकर इस जिंदगी को जियो, और तीसरा आपके हृदय में आभार भरे! ये तीन चीजें — इनको करने के लिए इन टेक्नोलॉजीज़ की जरूरत नहीं है। इन चीजों को पूरा करने के लिए आपको अंदर की तरफ मुड़ने की जो टेक्नोलॉजी है उसकी जरूरत है। और अगर ये आपने कर दिया, ये तीन चीजें अगर आपने कर दिया अपनी जिंदगी के अंदर तो फिर सब वाह-वाह हो जायेगी।
तो जैसा मैं कह रहा था, टेक्नोलॉजी में अब ये है, वो है, मेरे पास ये है; ये कर देंगें; वो कर देंगें और ये हो जाएगा और 5G आएगा और 6G आएगा और 7G आएगा। क्या-क्या नहीं होगा। सारी चीजें ये — कर लो, कर लो। 5G को बुला लो, क्या करेगा वो ? 5G को बुला लो, 6G को बुला लो, किसी G को बुला लो, क्या करेगा वो ? लोग मरेंगें। अमेरिका में कितने मर रहे हैं; स्पेन में कितने मर रहे हैं; इटली में कितने मर रहे हैं; ईरान में कितने मर रहे हैं, अभी और भी मरेंगे। क्योंकि इस टेक्नोलॉजी का तुमसे — तुम इस संसार के अंदर ज्यादा दिन नहीं हो। जैसे मैं पहले कहता ही आया हूँ कि यह जो समय हमारे पास है, यह ज्यादा नहीं है।
अगर हम सौ साल भी जीये तो 36000 — छत्तीस हजार पांच सौ दिन बनते हैं। तो ज्यादा नहीं बने हैं। जितने भी दिन हैं, एक-एक दिन अगर स्वीकार कर लिया हमने तो हमारी वाह-वाह होगी, हृदय से वाह-वाह होगी। आनंद में, क्योंकि उसका नाम क्या है, सत् चित् आनंद! सत् क्यों – कैसा सत्य ? जिसमें हम अपनी चेतना को, चित् को लगा सकें। क्यों लगा सकें ? क्यों करें ये सबकुछ ?
इसलिए कि उससे फिर हमारे जीवन में आनंद ही आनंद संभव है। उस आनंद के लिए, उस सच्चे आनंद के लिए हम ये कर सकते हैं। अगर हमको वह आनंद चाहिए, जैसे कबीरदासजी ने कहा है —
जल बिच कमल, कमल बिच कलियां, जा में भंवर लुभासी।
सो मन तिरलोक भयो सब, यती सती संन्यासी।।
लोग सब भ्रमण कर रहे हैं, सब घूम रहे हैं। कोई यहां जा रहा है, कोई वहां जा रहा है, कोई वहां जा रहा है, कोई वहां जा रहा है। और यह भी एक, कोरोना वायरस भी एक भौंरा है उसमें और वो भी भर्र-भर्र-भर्र कर रहा है, वो भी भौं-भौं-भौं कर रहा है। और उसी में सारे लगे हुए हैं आज। किसी को ये होश ही नहीं था कि ऐसा भी हो सकता है। लोग मूवीज़ बनाते थे, फिल्म बनती थी, ऐसा हो गया, वो हो जायेगा, ऐसा हो जाएगा, ऐसा हो जाएगा। पर किसी को यह नहीं था कि असली में होगा। अब हो गया।
हम भी अभी, दो दिन पहले, हम भी भ्रमण कर रहे थे। अब कहीं नहीं जा सकते और हमने उचित नहीं सोचा कि हम कहीं जाएं और लोग हमको मिलने के लिए आएं और फिर इससे कोरोना वायरस और फैले। तो हम नहीं चाहते थे। तो हम गए हुए थे बार्सिलोना में, बार्सिलोना में फिर मैड्रिड गए, मैड्रिड में बुक लॉन्च की नई वाली। उसके बाद हम बार्सिलोना वापिस आये फिर वहां कुछ प्रोग्राम किये तब सबकुछ नार्मल था। उसके बाद ऑस्ट्रिया गए, ऑस्ट्रिया में भी प्रोग्राम किये। फिर हमने सोचा कि अब यूरोप में तो जगह बंद होने लगी तो हमने सोचा कि चलते हैं, साउथ अमेरिका चलते हैं, तो हम ब्राज़ील पहुंचे और जैस ही ब्राज़ील पहुंचे, तो वहां दो दिन के लिए थे उसके बाद हमको जाना था अर्जेंटीना। तो जैसे ही अर्जेंटीना — जैसे ही अगले दिन चलना था उससे पहले ही उन्होंने कह दिया “नहीं! कोई नहीं आ सकता अर्जेंटीना में!”
तो उन्होंने कहा, फिर प्रोग्राम भी नहीं होंगें, तो हम क्या करें ? तो कुछ दिन ब्राज़ील में ही रहे। अर्जेंटीना से फिर उरुग्वे जाना था। तो वहां भी नहीं जा सके। फिर हमने सोचा, “चलो अफ्रीका चलते हैं!” तो अफ्रीका चलने के लिए तैयार हुए तो फिर वहां भी यही हो गया कि “नहीं! हम किसी को नहीं चाहते है कि कोई यहां आये!”
तो फिर हम यहां अमेरिका आये और दो दिन पहले वापिस घर में आये और अब कहीं नहीं जा रहे हैं। घर ही में हैं। तो हमने यही सोचा कि, “भाई! वीडियो बनाकर कम से कम लोगों तक हमारा सन्देश पहुंचे तो अच्छा रहेगा। अगर प्रोग्राम नहीं कर सकते हैं तो कोई बात नहीं, पर कम से कम लोग अपने घर में तो बैठे हुए हैं, तो वहां टेक्नोलॉजी है तो उसकी वजह से ये सब जा सकता है।
परन्तु हमारा विश्वास मनुष्यों पर है; हमारा विश्वास इस स्वांस पर है; हमारा विश्वास इस बात पर है कि मनुष्य के अंदर जो शक्ति है, वह असली शक्ति है और कोरोना वायरस आये, कोरोना वायरस नहीं आये, इससे हमको मतलब नहीं है। सावधान जरूर हैं हम और सभी को सावधान होना चाहिए। ताकि ये ज्यादा नहीं फैले। क्योंकि जो लोग हैं, इससे मर भी सकते हैं और यह अच्छी चीज नहीं है। ये हुई है, इससे प्रदूषण कम हुआ है कई जगह। जो छोटे-छोटे बच्चे हैं, उनके लिए अच्छा हुआ है क्योंकि यह उनको ज्यादा तकलीफ नहीं देती है और उनके लिए प्रदूषण भी कम हुआ है तो उनके लिए तो अच्छा है।
तो मैं कोशिश करूँगा कि जितनी भी मैं यह वीडियो बना सकूँ और आपलोगों तक यह पहुँच सके, आपलोग देख सकें इसको और अगर कोई प्रश्न आप मेरे से पूछना चाहते हैं या मेरे तक कोई चीज आप चाहते है, लिखित तो आप premrawat.com में वो अपने प्रश्न भेज सकते हैं, वो मेरे तक पहुंचेंगे। या फिर timeless today उसके द्वारा भी वो प्रश्न मेरे तक पहुँच जाएंगे।
तो मैं तो यही कोशिश करूँगा कि आप तक मेरा सन्देश पहुंचें और पहुंचें या न पहुंचें। कम से कम आप सुरक्षित रहें, आनंद में रहें और अच्छी तरीके से रहें, तो अगली वीडियो तक आपसे फिर मुलाकात होगी।
सभी को मेरा नमस्कार!

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