प्रेम रावत जीद्वारा सिखाई गयी आत्म ज्ञान की क्रियाओं के अभ्यास से लाभान्वित हो रहे व्यक्तियों में से किसी एक व्यक्ति के विचारों को PremRawat.com हर महीने प्रकाशित करता है। आत्म ज्ञान – एक सरल तरीका जो आपके ध्यान को बाहर की दुनिया से मोड़कर आंतरिक शांति के स्रोत की ओर ले जाता है। प्रत्येक व्यक्ति के विचार बहुत ही अलग और उनके अपने स्वयं के जीवन के अनुभव पर आधारित होते हैं। इस महीने के विचार मैडेलीन मैक्क्रेआ के हैं जो सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में रह रहीं हैं।
मैं अपने स्वयं के अनुभव के बारें में ही बता सकती हूँ। मेरा जन्म 1953 में ऑस्ट्रेलिया में हुआ, हाँ,इसलिए हम उस समय में पीछे चलते हैं।
जहाँ तक मुझे याद है, मेरे अंदर एक बहुत गहरी प्यास थी। करीब 5 साल की उम्र में, रात में अपने बिस्तर पर सोने की कोशिश करते हुए,मुझे रसोई में जाकर अपनी माँ से पूछने की प्रबल इच्छा होती थी, “माँ, मैं कौन हूँ, मैं क्या हूँ, यह क्या है?”
मेरी माँ, जिन्हे अंततः कुछ शांति के पल मिले , जवाब देती:
“तुम मैडेलीन मैक्क्रेआ हो, तुम मेरी बेटी हो, अब जाओ और जाकर सो जाओ! “
लगभग चार प्रयासों के बाद, मुझे एहसास हुआ कि जाहिर तौर पर उनके पास ऐसे प्रश्न का उत्तर नहीं था और मुझे स्वयं ही इसका पता लगाना होगा। अपने बचाव में, उनके पास बाकी सभी चीज़ों के उत्तर होते थे।
मैं 60 और 70 के दशक में पली-बढ़ी हूं, वो हिप्पियों का समय था, जहां मेरे जैसी लड़की के लिए घूमने और आजादी हासिल करने के लिए अच्छे से अच्छे संगीत और बहुत सारे कई मौके थे |
हाँ, मैं हिप्पी थी। मैं उस समय के सबसे चहेते रॉक संगीत HAIR में भी थी।
जब तुम ये जानना चाहो कि ये सब किस बारें में है, तो तो बस प्रेम रावत को ढूंढ लो |
हालाँकि मैं करियर के कई अवसरों को हासिल करने के लिए काफी सुंदर और प्रतिभाशाली थी, फिर भी मेरा दिल मेरे स्वयं के सच्चे स्वरुप को, उस ऊर्जा को , उस दिव्य शक्ति से मेरे अपने व्यक्तिगत, आंतरिक संबंध को खोजने में लगा हुआ था।
चूँकि मुझे इसकी प्यास थी, मुझे पता था कि ये संभव है। मेरे समय के बहुत सारे लोगों की भी यही सोंच थी।
जब मैं 19 वर्ष की थी, मैं एम्स्टर्डम में रह रही थी, लेकिन मैंने हिप्पी बस में बैठकर जो कि सड़क मार्ग के जरिये हिन्दुस्तान जा रही थी, उसमें जाने का निर्णय लिया। मैंने सोचा कि वहां मुझे मेरे गुरु मिल जायेंगे, ऐसा कोई जिसके पास मेरी आकाँक्षाओं का जवाब हो। क्या मैं जानती थी कि गुरु कैसे दिखते होंगे? क्या मुझे पता था कि मैं गुरु और उस अनुभव को पहचान पाऊँगी ? मैं जानती थी कि मेरे दिमाग को कुछ मालूम नहीं था, लेकिन मैं यह भी जानती थी कि मेरे दिल को पता चल जाएगा।
कई महीनों तक हिन्दुस्तान में ढूंढने के बाद, मुझे मेरी बहन का पत्र मिला जो ऑस्ट्रेलिया में चिकित्सा की पढाई कर रही थी।
उसने बस इतना कहा , “जब तुम ये जानना चाहो कि ये सब किस बारें में है, तो तो बस प्रेम रावत को ढूंढ लो।”
मैंने उस पर पूरा भरोसा किया और हरिद्वार की ओर नंगे पैर चल पड़ी , जहाँ मैंने सुना था कि उनकी एक जगह थी।
जब मैं वहां पहुंची, तो मैं वहां रुक सकी, हालांकि प्रेम पूरे संसार में इस ज्ञान को फैलाने की अपनी पश्चिम देशों की यात्रा के लिए पहले ही निकल चुके थे।
मैं छह हफ्ते तक हरिद्वार में रही, जब तक कि मुझे यह तरीका नहीं सिखाया गया कि कोई व्यक्ति अपनी इंद्रियों और ध्यान को अंदर की ओर कैसे मोड़ता है जो पहले से ही मौजूद है। इसे ही प्रेम “ज्ञान” कहते हैं।
मेरे लिए ज्ञान के अभ्यास का अनुभव बिलकुल वैसा ही है जैसे कि नाव के लिए पतवार, मेरा आराम करने का स्थान, जीवन के द्वंद्वों से आश्रय है, मेरा अपना घर जो कि हमेशा मेरे साथ है, हमेशा मेरा साथ देता है।
मैं इन सरल क्रियाओं का अभ्यास 50 सालों से करती आ रही हूँ, और इस उपहार के लिए मेरा प्यार और आभार दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है।
जब मैं आत्म-ज्ञान की तकनीकों का अभ्यास करके अपनी आंतरिक दुनिया में गहराई से जाती हूं, तो मैं एक ऐसे प्रेम से भर जाती हूं जो सौम्य और सर्वव्यापी है। वास्तव में, यह मेरे अंदर स्थित उस परमात्मा के साथ एक प्रेम संबंध है – जो मेरी आखिरी सांस तक बना रह सकता है।
अंदर जाने की विधि को जानना और उस आन्तरिक अनुभव का आनंद लेना, इस चीज ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है | मैं अब अपने मन में मौजूद वैचारिक धारणाओं की कैद को छोड़ने में अब और सक्षम हूँ। मुझमें सरल रहने और बिना किसी आलोचना या लगाव के, बिना शर्त प्यार करने की अब अधिक क्षमता है| ज्ञान के अभ्यास ने मुझे इस क्षण में पूरी तरह से रहने क्षमता प्रदान की है। जो कुछ मेरी आंखों के सामने घटित हो रहा है, अब मैं उसकी सुंदरता को मिस नहीं करती ।
मैंने अपने अंदर असली स्वतंत्रता को पा लिया है। बाकी सब कुछ बदलता है। अंदर जो शक्ति है बस वही स्थायी है।
अपने अंदर की दुनिया को स्वयं अनुभव करने के जो फायदे हैं, वास्तव में उसकी व्याख्या करने के लिए शब्द पर्याप्त नहीं हैं।हर वो चीज़ जो मुझे चाहिए या जिसकी मुझे जरूरत है , वो मेरे अंदर ही धैर्यपूर्वक मेरा इंतज़ार कर रही है, मेरे घर अपने आप के पास लौटने का इंतज़ार कर रही है।
सम्बन्धित लेखहरू
घर वापसी
चैरिस कूपर अपने जीवन के बारे में बताती हैं कि...
कांच पर कैसे चलें
प्रोफेसर रॉन गीव्स 1971 में प्रेम रावत के साथ अ�...
अर्नेस्ट लेकेटी: दक्षिण अफ़्रीका में उपचार और शांति के बढ़ते अवसर
प्रेमरावत.कॉम की लेखिका मार्सिया न्यूमन, उत�...
धीरज मेरे अंदर एक गहरे स्थान में
धीरज मेरे अंदर एक गहरे स्थान में.
मध्य पूर्...
कमरे में एक प्यारी शांति भर गई
डॉ. जॉन हॉर्टन मुलाकात के अगले दिन प्रेम रावत...
गहराई में गोता लगाना
सत्य का एक खोजी आत्म-संतुष्टि की अपनी खोज और �...
जानना
सिडनी ,ऑस्ट्रेलिया की मैडेलीन मैक्क्रेआ बता...
चरण आनंद जी के साथ एक साक्षात्कार – जन का व्यक्ति
प्रेम रावत के सबसे पुराने छात्रों और दोस्तो�...