लॉकडाउन प्रेम रावत जी के साथ, सातवां दिन

“आपको मालूम है गुस्सा क्या है ? क्या आप दया, करुणा, शांति, आनंद, खुशी से भी उतना ही परिचित हैं ? यह चीजें भी आपके अंदर मौजूद हैं। अपने इन गुणों के साथ प्रेम कीजिये और आपके अंदर कुछ है जो क्रोध, भय और अन्य सभी चीजों के बजाय, इन गुणों को चुनेगा” —प्रेम रावत

प्रेम रावत:

हैलो! हैलो! नमस्कार सभी को! उम्मीद है आप ठीक हैं। और इस वीकेंड में मुझे लगा कि कुछ जवाब देने का यह अच्छा समय है। तो मेरे पास कुछ सवाल हैं और सबसे पहला सवाल जो भेजा है वह है संजय की ओर से जो हैं (मुझे नहीं पता वह कहां से हैं उन्होंने नहीं लिखा) — पर वह कहते हैं “मैं आपका धन्यवाद देता हूं कि लॉकडाउन में आपने विचार साझा किए इससे मुझे सच्चाई समझने में बहुत मदद मिली है। यह अच्छा है हिम्मत और उम्मीद मिली है और यही तो चाहिए था मुझे कि आपको हिम्मत मिले और आपको उम्मीद मिले। सरकारी कर्मचारी और कई लोग निर्देश दे रहे हैं और सुझाव ताकि कोरोना वायरस से बचा जा सके। अगर आप भी ऐसा ही कुछ बताएंगे तो अच्छा रहेगा — संजय!”

लिखने के लिए धन्यवाद संजय और मैं जो आपको बताऊंगा वह यह है कि देखिए! मैं डॉक्टर नहीं हूं और मैं किसी भी तरह से वायरस विशेषज्ञ नहीं मैं यह नहीं कहता, लेकिन मैं आपको एक बात जरूर बता सकता हूं कि जो भी मैंने सुना है और समझा है वह दो बातें हैं “किसी को भी बीमारी ना दें और किसी से भी बीमारी ना लें!” बस इतना ही अगर आप बीमार हैं तो किसी को मत दीजिए संक्रमण और किसी से बीमारी मत लीजिए अगर वह बीमार हैं। इसमें जो भी हो बहुत-बहुत आसान है — अपने हाथ धोएं, आप बाहर जाते हैं अपने हाथ धोएं, आराम से रहें, अच्छा सोचिए, सुरक्षित रहिए, धैर्य रखिए, आपको धैर्य की जरूरत पड़ने वाली है धैर्य की जरूरत है और धैर्य रखें। आप अच्छा सोचें और इसे हिम्मत से लड़ें कमजोरी से नहीं, लेकिन हिम्मत से। तो उम्मीद है और हां मैं जो बात कर रहा हूं वह यह है कि आप इस स्थिति में भी मज़े कर सकते हैं, क्योंकि अच्छा समय जिसकी मैं बात कर रहा हूं वह आपके भीतर है उसे खोजिये। तो अच्छा समय बिताएं, हमेशा अपने साथ हिम्मत और धैर्य रखें और वह उद्देश्य हो आपका कि किसी को बीमार नहीं करना है चाहे जो भी हो जाए बस इतना।

“उनका क्या जो अहम सेवाएं दे रहे हैं। आपके पास उनके लिए कुछ शब्द हैं इस बार ?” — केसी ने पूछा है!

लिखने के लिए धन्यवाद दोबारा। वह कमाल की सेवा कर रहे हैं। वह अपने जीवन को खतरे में डाल रहे हैं ताकि इस स्थिति में हमें कुछ अच्छा मिल पाए कुछ साधारण जीवन की तरह। पहली बात, मैं दुनिया के उन सभी लोगों का धन्यवाद कहना चाहता हूं जो यह काम कर रहे हैं और दूसरा, शायद जैसा कि मैंने संजय को कहा, हम सभी को हिम्मत और धैर्य दिखाना होगा और यही दो बातें इस धरती पर इंसान होने के नाते हमें अभ्यास में लानी होंगी खासकर कोरोना वायरस के चलते — ऐसा होगा यह समाधान। अलग रहकर ठीक होने में लगभग 14 दिन लगते हैं और उस समय को बिताना पागल जैसा ना होना इसमें धैर्य लगता है, काफी पेशेंस!

तो सच में पहली बात दोबारा मैं धन्यवाद कहता हूं सभी लोगों का जो इस समय सेवाएं दे रहे हैं। सुरक्षित रहिये आप लोग बिल्कुल! मैं आप में बहुत हिम्मत देखता हूं और कृपया धैर्य रखिए! करते रहिए जो काम आप कर रहे हैं ताकि हम सब जीवित रह पाएं और हमारा जीवन साधारण बन पाए और दोबारा मेरी ओर से आप सभी को धन्यवाद!

“इस ज्ञान को साझा करने के लिए आपका धन्यवाद! मेरा एक सवाल है हालांकि लोगों को अभी जबरदस्ती अलग रहना पड़ रहा है। कई लोगों को यह समय एक छोटे बच्चे के साथ बिताना है या बच्चे के साथ और अपने लिए समय नहीं निकाल पा रहे और ज्यादा परेशानी है, खीझ रहे हैं बच्चों को समझ नहीं आता कि यह क्या चल रहा है वह बाहर जाना चाहते हैं और दोस्तों के साथ खेलना चाहते हैं। मैं आपकी मां-बाप के लिए सलाह की सराहना करता हूं और इस समय के लिए आपके पास कोई सलाह है ? सप्रेम और धन्यवाद वेंडी!”

मेरी सलाह है कि अगर आप परेशान होंगी और बच्चे यह देखेंगे तो वह समझ जाएंगे। ऐसे मत कीजिए अगर आप ऐसा करेंगी तो कुछ गलत है। जब उन्हें लगता है कि कुछ गलत चल रहा है तो बस खत्म! मेरी मानिये खत्म है और उस समय एक परेशान माँ-बाप बच्चे को लेकर कहता है “तुम मत रोओ!” मेरा मतलब, वह बच्चा रोएगा ही, तो धीरज रखिए सब ठीक है। यह आपके बच्चे हैं, आप इनके आसपास हैं जो भी उनके साथ जुड़िये। इनका सबको देखने का एक अलग नज़रिया होता है वह समस्या को नहीं देखते, वह तो बस समाधान ही देखते हैं और समाधान है हम अच्छा समय क्यों नहीं बता सकते! आप अच्छा समय बिता सकते हैं कोरोना वायरस नहीं कर सकता, यह किसी भी तरह से अच्छे समय पर वार नहीं करता। आपको केवल जानना होगा कि अच्छा समय क्या है और हम आमतौर पर इतने व्यस्त रहना सीख गए हैं कि इस समय में अच्छा वक्त हम देख ही नहीं पा रहे हैं।

एक समय था जब टीवी नहीं होता था, एक समय था जब यह सारे मनोरंजन के साधन नहीं थे (समझते हैं ना)। एक समय था कोई आईपैड नहीं थे, कोई आईफोन नहीं थे और सेलुलर फोन, कोई सुपर कम्प्यूटर्स भी नहीं थे कुछ नहीं था। और तब लोग क्या करते थे ? तो लोग खुद सोचते थे और शांत समय का भी अहमियत जानकर उसका इस्तेमाल करते थे, पर अब इसे सज़ा की तरह देखा जाता है। मेरा मतलब, सच में अजीब है पर एक बच्चा कुछ गलत करता है और हम कहते हैं कि “अपने कमरे में जाओ और बैठो और सोचो इस बारे में।” क्या कहा इसमें सज़ा क्या है यह तो अच्छी बात है। आपको लगता है यह सजा है पर यह अच्छी बात है। कोई बैठकर सोचे, अच्छे से सोचे अपने दिन के बारे में, क्योंकि सब इतना तेज है आजकल तो आपको शायद दोबारा सोचना पड़े जो आपको और सभी को पता था, पर अब आप भूल गए हैं। तो बात है उस बच्चे के साथ समय को खोजना और फिर अच्छा समय बिताना उसके साथ या शायद एक कहानी लेकर उसे अलग-अलग ढंग से सोचना और अलग-अलग चीजें समझना, सोच को बढ़ाना, बच्चे को बस यही तो चाहिए। जबतक उनकी सोच खुली रहती है तब तक सबकुछ अच्छा रहता है। मैं तो ऐसा ही सोचता हूं हमेशा, तो ऐसा नहीं कि मां-बाप को सलाह देने में मैं विशेषज्ञ हूं, पर मुझे उम्मीद है आप समझेंगे कि मैं क्या कह रहा हूं और धन्यवाद — धन्यवाद लिखने के लिए।

यह रहा एक और सवाल “मैं स्पष्टता को कैसे चुनूं, मैं शांति को कैसे चुन सकता हूं ? करुणा, समझ, प्यार को मैं कैसे एक अच्छा जीवन जीयूं जिसमें सुरक्षा, शांति, खुशी और आनंद हो। स्पष्ट सच्चाई की बात पर ध्यान रहे और ज्यादा ?”

देखिए! अब आप जो भी हैं धन्यवाद! आपका नाम यहां नहीं है लेकिन यह अच्छा सवाल है और सबसे जरूरी बात यह है कि जिन बातों के बारे में आपने कहा — करुणा, अपनापन यह आपके भीतर ही हैं। यह आप में ही हैं। आप जानते हैं कि गुस्सा क्या है और गुस्सा कैसा दिखता है यही है यह भावना यह भीतर आकर फैलती है आप लाल हो जाते हैं, रक्तचाप बढ़ जाता है, दिल धड़कने लगता है, आप गुस्से में हैं। आपको मालूम है गुस्सा क्या है और गुस्से के खत्म होने के बाद आप भी पता है सोच कर कह सकते हैं कि “हां मुझे गुस्सा आया था”, लेकिन करुणा से भी वाकिफ़ हैं आप। आप जानते हैं नफरत क्या है पर आप जानते हैं कि जितना नफरत को जानते हैं क्या आप उतना ही करुणा को जानते हैं ? क्या आप अपनेपन को उतना ही जानते हैं ? क्या आप शांति को जानते हैं ? क्या आप उतना ही खुशी को जानते हैं ? क्या आप वैसे ही आनंद को जानते हैं ? अगर नहीं जानते तो यह है समस्या, क्योंकि आपको पता होना चाहिए यह बातें हर समय आप में ही हैं। यह सभी बातें आपके भीतर हैं, हर क्षण। ऐसा नहीं कि आप अपनी खुशी पीछे छोड़ देते हैं, ऐसा नहीं कि अपनापन पीछे छोड़ देते हैं, ऐसा नहीं कि खुशी को पीछे छोड़ देते हैं, जहां भी जाते हैं, जो भी करते हैं यह सब आपके भीतर रहता है सबकुछ। गुस्से की तरह, नफरत की तरह, भ्रांति की तरह हमें इन बातों को गहराई से समझना है और जब हम इन्हें सच में समझना शुरू कर देते हैं फिर हमारे भीतर कुछ होता है, जो इन बातों को चुनना शुरू कर देगा बाकी चीजों से पहले, अपने आप ही चुन लेगा जो हैं गुस्सा और डर और बाकी सबकुछ।

इतने सारे लोगों को कोरोना वायरस हो गया है यह बड़ी बात है लोग डरे हुए हैं। और लोग क्यों डरे हुए हैं ? “ओह! मेरे साथ क्या होने वाला है और जब आप संख्या को देखते हैं — और मैं इसे आज सुबह देख रहा था कहीं ज्यादा लोग प्राकृतिक कारणों से मरे हैं, इस कोरोना वायरस के मुकाबले। लेकिन यह सही नहीं, यह अच्छा नहीं — मैं नहीं बोल रहा, पर जब आप देखते हैं उन संख्या को जो हर रोज दिख रही है यह कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। यह संख्या इतनी बड़ी नहीं है हालांकि यह बढ़ते जा रहे हैं और बढ़ते जा रहे हैं और भी ज्यादा बढ़ रहे हैं, दोबारा विश्व के नेता इतना अच्छा काम नहीं कर रहे जितना उन्हें करना चाहिए। लेकिन बावजूद इस सबके क्या लगता है इस चीज से, डरने से इस कोरोना वायरस से क्या होगा! कुछ भी नहीं। आपको क्या करना है, जैसा मैंने कहा एक लक्ष्य होना चाहिए, “बीमारी किसी को ना दें और किसी से ना लें!”

तो हम कुछ बातों को अच्छे से जानते हैं, लेकिन हम कई ऐसी बातें हैं जिन्हें नहीं भी जानते। खुद को जानने से ऐसा होता है कि आप इन बातों को जान जाएंगे। “जी हां! कहिए मुझमें गुस्सा है और मुझे गुस्सा नहीं पसंद है, लेकिन मुझमें अपनापन है एक खुशी है” और जैसे-जैसे आप जानेंगे यह चुनने में और आसान होता जाएगा समझ यही है आपकी अहमियत और यही उदाहरण मैं देता हूं वह यह कि — “एक छोटे डिब्बे की क्या अहमियत है, एक छोटा डब्बा ?” और शायद इसमें क्या है, इस डिब्बे में पता है इसमें सिर्फ एक अंगूठी है और उसकी कीमत होगी लगभग 2 लाख डॉलर तो फिर डिब्बे की कीमत क्या हुई ? अब शायद डिब्बे की कीमत है 50 डॉलर (10 डॉलर, 20 डॉलर या जो भी) लेकिन जबतक अंगूठी उस डिब्बे में है उस डिब्बे की कीमत भी 2 लाख डॉलर है।

यही है जो आपको समझना है। उस डिब्बे से अंगूठी निकालें और उस डिब्बे की कीमत है 50 डॉलर (5 डॉलर, 10 डॉलर या जो भी) पर जबतक अंगूठी डिब्बे में है तो डिब्बे की कीमत भी अंगूठी जितनी ही है और फिर ? यही बात आपके साथ भी होती है। जबतक आप में वह चीज है जिसे कहते हैं “जीवन”, आपकी कीमत असंख्य है और उसे हटा दें और हां बिल्कुल कुछ नहीं बस यह एक डिब्बा है और फिर यही रहेगा तो उन बातों से परिचित रहें जो आप में है उन बातों से प्यार करें और फिर आप इस जीवन का आनंद ले पाएंगे और ज्यादा और ज्यादा।

एक और सवाल — “धन्यवाद प्रेम! क्या आप उनसे कुछ कहेंगे जिन्हें यह बीमारी हो गई है ? मैं लॉकडाउन क्लिप्स कई लोगों को भेज रहा हूँ, जो आपको नहीं जानते हैं यह कितना अच्छा है, सबके लिए।”

जी हाँ! अब मैं यह कह सकता हूं दोबारा वही पुरानी बात यह कीजिए — अगर आपको बीमारी है उन्होंने आपको बताया होगा कि वायरस है धैर्य रखें, अच्छा सोचें, अच्छी नींद ले और इसका हिम्मत से सामना करें। हौसला रखिए इस समय, डर नहीं इसका सामना हिम्मत से करें आप बेहतर हो जाएंगे। बहुत से लोग चाहते हैं कि आप ठीक हों, लेकिन वह उम्मीद आपके भीतर से आनी चाहिए। यह सब हिम्मत से करें, यह धैर्य से करें, इसे पूरा होने दें, जरूरी कदम उठाते रहिए। अच्छा सोचें और वह सब करें जो जरूरी हैं और मुझे उम्मीद है कि आप जल्द ठीक होंगे और वह बहुत अच्छा दिन होगा।

अब किसी और ने भी लिखा है — “हाय प्रेम! मैं आपका धन्यवाद करता हूं उसके लिए जो आपने समझाया और मदद करने के लिए!” “मेरी बेटी ने मुझसे कुछ वर्षों पहले पूछा था कि वह 7 या 8 साल की थी कि पापा जब मैं मर जाऊंगी तो आपको याद रखूंगी और जब आप मर जाएंगे तो मुझे याद रखेंगे ? मैं कुछ गलत नहीं कहना चाहता था तो मैंने उससे कहा कि अच्छा सवाल है लेकिन मैं नहीं जानता था मैं तब से काफी सोच रहा हूं तो मेरे लिए यह सवाल बन गया है — क्या हृदय की यादें होती हैं या यह सिर्फ अभी के पल में ही जीता है!”

देखिए जब आप किसी से प्यार करते हैं और उस व्यक्ति के साथ होते हैं आपको उनसे क्या मिलता है ? वह क्या देते हैं आपको जब आप उन्हें देखते हैं ? आप उनसे प्यार करते हैं वह आपको खुशी देते हैं तो इसका मतलब क्या हुआ “खुशी — वह खुशी लाते हैं ?”

अब खुशी कैसे दिखती है ? क्या उस पर उनका नाम लिखा होता है ? या यह आपको अच्छा महसूस करवाती है ? उस व्यक्ति के साथ होना, उनके बारे में सोचना और यही बात हृदय अच्छे से जानता है वह भावना, वह अच्छाई, वह खुशी जो दूसरा व्यक्ति देता है आपको, शायद बढ़ावा देता है वह इस खुशी को बढ़ाते हैं। हां बिल्कुल, चाहे जो भी हो अगर आपने एक-दूसरे को खुशी दी है उन्होंने आपको और आपने उन्हें, फिर आपके साथ खुशी हमेशा रहेगी किसी लेबल या नाम के बिना हमेशा। क्योंकि हृदय तो पूर्ण है, जी हां भरा हुआ और शायद आप न ही लें। जब आप किसी के घर जाते हैं और कमाल का खाना खाते हैं। आप उस खाने को एक हफ्ते के बाद भी अपने साथ नहीं ले जाते हैं। 2 हफ्ते, 3 हफ्ते लेकिन खाते समय बिताया हुआ अच्छा समय आपको याद रहता है और जीवन भी बिल्कुल ऐसा ही है तो मुझे उम्मीद है इससे आपको जवाब मिला होगा।

मैं कोई एक बात नहीं बोल रहा मैं जानता हूं, पर हृदय पूर्ण होने के बारे में ही है और अगर वह आपको खुशी देती हैं और आप उन्हें और यही बात रिश्तों में अहम होती है कि हम यह समझते हैं कि इसमें आखिर है क्या! “मैं कैसे उस दूसरे व्यक्ति को खुशी दे सकता हूं और मैं कैसे उस व्यक्ति से मिलने वाली खुशी को ग्रहण कर सकता हूं!”

फिर बस यही महत्वपूर्ण बात रह जाती है! सिर्फ यह! और यह तोहफा आप उन्हें देंगें जिसकी कीमत नहीं है — रूपए के तौर पर इसकी कीमत नहीं लगाई जा सकती इसकी कीमत असंख्य है और वो खुशी जो आपको देती हैं वह उसकी अहमियत असंख्य है, इसकी कोई सीमा नहीं।

तो उम्मीद है मदद मिलेगी आपको। आपका धन्यवाद और मैं आपसे जल्द मिलूंगा। ऐसे कई और भी सवाल हैं असल में, लेकिन हम उनके लिए भी समय निकालेंगे!

तो मैं आपसे कल मिलूंगा धन्यवाद!