लॉकडाउन प्रेम रावत जी के साथ, छठा दिन

“जो कुछ भी हो रहा है, जो भी हो रहा है शायद यह एक तरीका है याद दिलाने का कि, मनुष्य होते हुए हमें फिर समझना है उस कमाल की चीज को जो कहलाती है “इंसानियत!” हमें दोबारा मनुष्य बनने की जरूरत है।” —प्रेम रावत