लॉकडाउन प्रेम रावत जी के साथ, आठवां दिन

“यह वास्तव में एक अच्छा समय है कि हम एक-दूसरे को थोड़ा आदर, थोड़ा स्पेस, थोड़ी हमदर्दी, थोड़ी सहानुभूति दें और जब यह ज़रूरी हो तो एक समझ दें और एक दूसरे के साथ की सराहना करें। जब आप सराहना करते हैं, तो वास्तव में कुछ सुंदर घटित होता है।” —प्रेम रावत

प्रेम रावत:

सबको नमस्कार! मुझे उम्मीद है आप ठीक होंगे बिल्कुल और दोबारा आज भी हम सवालों के जवाब देंगे। एक और सवाल है आज के लिए कहते हैं “मैं अपनी पत्नी के साथ, सास और बेटी के साथ हूं और 8 साल की लौरा। लौरा और मैं इस समय का पूरा फायदा उठाते हैं। और मैं उसे बताता हूं आपके विचार और आपकी बातें उसे पसंद आती हैं लेकिन मेरी पत्नी और सास काफी घबराए हैं। मैं उनकी मदद करना चाहता हूं, लेकिन मुझे पता नहीं कैसे क्या आप बताएंगे? शुक्रिया!” यह सवाल भेजा है पेड्रो ने।

अच्छा सवाल है पेड्रो, क्योंकि मुझे लगता है कि कई लोग काफी डरे हुए हैं कि क्या होने वाला है और यह काफी बड़ी बात नहीं है। जब इसके बारे में आप सोचते हैं आपको बस कुछ सावधानियां बरतनी है। अब जो मैं समझा हूं वह ये कि यह वायरस एक कॉमन-कोल्ड वायरस है और इसके काफी हल्के लक्षण होते हैं अगर परेशानी ना हो पहले से ही तो यह काफी बिगड़ सकता है। यही है मेरी समझ जो मैंने डॉक्टर से बात करके समझा है। लेकिन असल में अगर आप अपने हाथ साफ रखें और मुंह को न छुएं, उस व्यक्ति से दूर रहें जिसे शायद यह बीमारी हो सकती है और ऐसी जगह में ना रहें जहां उनकी छींक की वजह से कीटाणु फैल गए हों। फिर आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है बिल्कुल।

तो अगर आप अलग हैं और बाहर नहीं निकल रहे और दूरी बनाई हुई है सभी से। आप हाथों को साफ रख रहे हैं, अपनी नाक मुंह और आंखों को नहीं छू रहे तो आपको डरने की जरूरत नहीं है। इस बात से हो सकता है कि किसी के जीवन में फर्क पड़े या ना पड़े, लेकिन सच में जो बात उन्हें समझनी है वह यह है कि यह जीवन ही है और इस जीवन के प्रति सराहना होना अब भी एक अहम बात है। परेशानी नहीं होगी अगर वह सावधानी रखें वह ठीक रहेंगे लेकिन पता है और शायद ऐसी परिस्थितियों में लोग काफी भ्रमित हो जाते हैं। लेकिन सुनिए, आपको सड़क पर जाते हुए ये सावधानियां रखनी है।

बहुत बार जब अमेरिकी इंग्लैंड जाते हैं और वह सड़क की दूसरी तरफ ड्राइव करते हैं और यह मुमकिन है कि वो ट्राफिक को देखने के लिए गलत दिशा में देखें और वह देखते हैं कि “ओह हां! खाली है” और वह आगे चलते हैं जबकि हो सकता है कि गाड़ी सामने से आ रही हो। तो सावधानियां हमें ध्यान में रखनी ही है अगर हम यह सावधानी नहीं रखेंगे, हम वो एक अहम काम नहीं कर पाएंगे जो हमें करना है। तो यह मुद्दा है बातों को प्राथमिकता देने का। डरना हमारी प्राथमिकता नहीं हो सकता, क्योंकि यह आपके शरीर को और थका देगा यह ठीक नहीं होता। और जब ऐसा होगा मेरा मतलब —घबराहट, लोग इस बात पर घबराए हुए हैं और वह सो नहीं पा रहे हैं। यह शायद आपके इम्यून सिस्टम के लिए सबसे बुरा है। आपको अच्छी नींद लेनी जरूरी है ताकि रोग प्रतिरोधी क्षमता अच्छी रहे ताकि आप बीमार ना हों। देखिये! अच्छी खबर यह है कि आप सावधानी ले सकते हैं और इससे आप सुनिश्चित होंगे की बीमारी आपको नहीं लगेगी। यह इतना ही आसान है बस और इसलिए डरने की कोई वजह नहीं है।

“प्रिय प्रेम! मेरा एक सवाल है। कृपया हम क्या दे सकते हैं खासकर बच्चे और पोते-पोतियों को ऐसे समय में करुणा, प्यार और अपनेपन के अलावा ?” — यह पूछा है बारबरा ने विएना से।

हैलो बारबरा! अच्छा सवाल है आपका। “हम उन्हें क्या दे सकते हैं ?” पहली बात हमारा परिवार जिनके साथ हम इस स्थिति में बंद हैं। एक बात मैं बताना चाहता हूं “सबको थोड़ी-थोड़ी जगह दीजिए, सबको एक स्पेस दीजिए।” यह बात अगर हम नहीं करते हैं अगर पालन नहीं करते हैं (खासकर अगर हम घर की छोटी जगह में बंद हैं तो) यह सच में सभी को पागल कर सकता है। तो कृपया उस कोमलता के साथ कुछ अच्छा करें और यह नहीं कि “ओह हां, मैं आपसे अच्छा व्यवहार करूंगा!” पर इसका असल मतलब देखें और इसका असल मतलब तब निकलेगा जब आप एक-दूसरे को समझेंगे, एक-दूसरे को कुछ जगह देंगे और यह बहुत-बहुत-बहुत जरूरी है। तो मैं बस कहता हूं कि एक-दूसरे के साथ खुश रहिए। बैठे रहने के अलावा और एक-दूसरे में गलती निकालने से अच्छा, क्योंकि परिवारों को गलती निकालना बहुत अच्छे से आता है। वह बस बैठे-बैठे — “अच्छा! यह तरीका नहीं है काम करने का यह गलत है, वह गलत है “….. और ऐसे ही यही सब और यह किसी को अच्छा नहीं लगता है। बिल्कुल भी नहीं।

यह करने से अच्छा है कि आप सबको स्पेस दें, सबकी इज्जत करें। हम घर के बाहर सबकी इज़्जत करने को आतुर रहते हैं, लेकिन यह एक अच्छा समय है खुद को आपस में इज्जत देने का। एक-दूसरे को कुछ स्पेस दें, एक दूसरे को समझिये; एक-दूसरे को अपनापन दें, जब भी जरूरी हो। एक-दूसरे को समझिए आप सभी लोग और उनके साथ होने की सराहना कीजिए। जब आप किसी की सराहना करते हैं कुछ बहुत ही सुंदर निकल कर आता है और आपको एक-दूसरे के साथ की सराहना करनी चाहिए इसलिए नहीं क्योंकि आप उन्हें पसंद करते हैं, पर आप बताते नहीं लेकिन आप पसंद तो करते ही हैं ना। तो यह एक अच्छा समय है यह सब करने का। जब आप ऐसी परिस्थिति में हैं जब लॉकडाउन की स्थिति है।

“मेरा सवाल है मैं कुछ चैट ग्रुपस में हूं और लोग काफी परेशान हैं और सभी के मन में निराशा और उदासी है। मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि बहुत कुछ सुंदर है आसपास लेकिन मैं थोड़ा चिंतित हूं क्योंकि उनका नज़रिया मुझसे अलग है वह सराहना नहीं कर पाएंगे और मैं किसी को बुरा महसूस नहीं करवाना चाहता इस गंभीर बात को कुछ छोटा बताकर। क्या सिर्फ उन्हीं के साथ अपने मन की बात साझा करूं जिनको मैं जानता हूं और मेरा नज़रिया भी जानता हूं या उनके साथ साझा करूं जिन्हें मैं नहीं जानता ?” और यह सवाल डेविड ने पूछा है। मैं नहीं जानता आप कहां से हैं डेविड, पर यह अच्छा सवाल है।

और यह वजह भी कि यह अच्छा सवाल है वह ये कि “क्या आप लोगों को अच्छी खबर देते हैं ?” और आप इसे आसान नहीं समझते काफी लोगों के लिए बहुत गंभीर स्थिति है और यह बहुत ही गहन बात है। क्योंकि यह उन वायरस में से एक है, जो वैसे तो हमें वायरस का पता है जैसे कॉमन-कोल्ड होता है — पर यह वह है जिसके बारे में हमने कुछ नहीं जानकारी ली। इसका तज़ुर्बा नहीं है हमें और यह प्रबल हो गया है बहुत ज्यादा बढ़ गया है और यह एक-दूसरे पर आरोप लगाने का समय बिल्कुल नहीं है। इन बातों में पड़ना लेकिन यह समय है एक-एक कदम देखकर रखने का और यह उदास और परेशान होने का समय बिल्कुल नहीं है लोग इनसे छुटकारा चाहते हैं। पता है मेरा सुझाव आपके लिए यह होगा कि कोशिश करें कि यह कैसा जाता है शायद आपको 100% न मिले, शायद आपको 10% मिले, शायद आपको 5% सफलता मिले। लोग सकारात्मक संदेश की सराहना करते हैं। यह बहुत अच्छा होगा, क्योंकि यह परेशान और उदास होने का समय नहीं है। मेरा मतलब यूं ही बैठकर परेशान होते रहना। “मेरी नाव डूब रही है, मैं डूब रहा हूं; मेरी नाव डूब रही है, मैं डूब रहा हूं” ऐसा बोलने से आप बचेंगे नहीं। कुछ करिए! भगवान के लिए कुछ कीजिए! और सबसे महत्वपूर्ण बात यह होगी कि इस बात पर एक सच्चाईपूर्ण दृष्टिकोण रखिये। सभी बातों पर गौर कीजिए सिर्फ एक बात पर ही नहीं।

क्योंकि देखिये मैं यह कई बार कहता हूं आप गाड़ी चला रहे हैं और आपको एक चिह्न दिखता है जिस पर लिखा है “गति सीमा।” “50 मील प्रति घंटा” आप क्या करते हैं ? आप क्या करते हैं ? क्या आप अपना सिर स्पीडो मीटर के ऊपर रखकर आप कहते हैं कि यह है सीमा और इसने दाएं या बाएं या ऐसे या वैसे की बात नहीं की थी। दूसरी गाड़ी को मारना भी नहीं कहा था मैं सुनिश्चित करूंगा कि 50 मील प्रति घंटे पर ही चलाऊं और यह बिल्कुल सही करूं तो यह आपको किसी परेशानी में जरूर डाल देगा और यही होता है।

कई बार लोग सिर्फ एक ही बात पर ध्यान देने लगते हैं और जानते हैं जैसे कि मैं हमेशा एक सवाल उठाता हूं “लोगों को डरावनी पिक्चर देखना क्यों पसंद है ?” मेरा मतलब, उनमें से कुछ बहुत बुरी होती हैं, पर लोगों को अच्छा लगता है। उन्हें डरना अच्छा लगता है और यह एक “सुरक्षित डरना” होता है। पर उन्हें डरना ही है और इसलिए शायद यह एक और बात है जो लोगों के मन में है “ओह! जैसे कि, हां उदासी और परेशानी ही है इसमें और जैसे कि यह बुरा है, यह खराब है, हम सब मरने वाले हैं…. और ऐसा ही कुछ।” लेकिन बात यह है इंसानों ने बहुत कुछ देखा है। महामारियां पहले भी फैली हैं ऐसी चीजें हुई हैं जिन्हें औषधि विज्ञान कुछ भी नहीं कर पाया उनको। हम आज काफी-काफी अच्छी स्थिति में हैं कम से कम हम इससे समझ सकते हैं और हमारे पास यह समझने के लिए अच्छा तरीका है। अब क्या सभी सरकारें वही करती हैं जो उन्हें करना चाहिए मुझे नहीं लगता। और देखिये मैं उनकी बुराई करने के लिए यहां नहीं आया। हमें स्थिति से बाहर निकलना ही है और बस यही बात जरूरी है।

और इसलिए हां, “उदासी और परेशानी” के ही बारे में नहीं है। मैं जानता हूं ऐसे लोग भी हैं मैं उनसे मिलता ही रहता हूं कि आप एक ट्रैफिक पर रुकें हैं तो आप पाएंगे कि वह संगीत बजा रहे हैं और वह मेरी गाड़ी से नहीं आ रहा वह किसी दूसरी गाड़ी से आ रहा है। वह अपने संगीत को लेकर बहुत ही खुश हैं और वह चाहते हैं कि पूरी दुनिया उसे सुने। मेरा मतलब उनकी खिड़की के शीशे नीचे हैं। वह बस तेज-तेज संगीत चला रहे हैं। और जैसे ही देखते हैं कि “मेरे पास क्या है वह गाना बजाकर खुश हैं…।”

आप मजे करें। हम मजे करते हैं। आप इस संदेश का आनंद लें, मजे लीजिए। आप “उदासी और परेशानी” का हिस्सा मत बनिए। बिल्कुल भी नहीं! अगर लोगों की मदद करना चाहते हैं, हां, बिल्कुल मदद कीजिये शायद सराहना करेंगें वो लोग। शायद ना करें अगर नहीं करते तो आप चुप हो जाएं। अगर करते हैं तो मदद कीजिये। यह इतना ही आसान है शायद मैंने इसे ज्यादा ही आसान बना दिया है। तो उम्मीद है आपको मदद मिलेगी।

एक और है — इनका सवाल है “यह कैसे समझें कि आप दोबारा अचेतना में जा रहे हैं इससे पहले कि आप समझें और आप ड्रामा और भावनाओं में बह जाते हैं ?” धन्यवाद! कैरेन ने पूछा है।

हैलो कैरेन! यह अच्छा सवाल है! काफी अच्छा सवाल है यह। और मैं बता दूं कि यह स्थिति के हिसाब से है जो आज हमारे समक्ष आ गई है। यह हर रोज के संदर्भ में है जो हम देखते हैं। तो सवाल है “हम कैसे पहचानें कि आप अचेतना में जा रहे हैं?”

क्योंकि आप बहुत तेजी से जा रहे हैं, चीजें बहुत तेजी से हो रही हैं। इसे धीमा करें, धीमा करें, एक-एक कदम करके बढ़िए आप लोग। जीवन ऐसे ही जीया जाना चाहिए सिर्फ इसलिए क्योंकि दुनिया एक ही बात मानती आई है कि “देखते हैं आप कितना कर सकते हैं, आप कितना आगे बढ़ते हैं, आप कितना हासिल कर सकते हैं।” देखिए मैं उन लोगों में से था जो कहते थे कि 150%, 200%, पर सच्चाई है ऐसी कोई चीज नहीं है 200% जैसी। तब से मेरी समझ है कि आराम से कीजिए, एक-एक कदम करके चलिए! आप क्या कर रहे हैं ? आप क्या करने वाले हैं ? कुछ दिमाग लगाइए यही तो है सचेत होना। मेरा तज़ुर्बा क्या है ? मेरी भावना क्या है ? मैं कहां जा रहा हूं ? मैं जो करने वाला हूं उसका परिणाम क्या होगा ? अगर लोग ऐसा कर पाते हे भगवान! अचानक से आपको जेलों की जरूरत ही नहीं पड़ती आपको इन सबकी जरूरत नहीं पड़ती। बंदूके निकालना और यह सभी चीजें जो आजकल होती हैं।

अगर लोगों के जीवन में बस इतना होता बहुत ही आसान से धीमे-धीमे चलना, बहुत आराम से करना, आंखों को खोलकर काम करना, बंद आंखों से नहीं। समझना कि आप क्या करने वाले हैं और यह हैं तरीके। क्योंकि जब वह गति आएगी, गति यही तो करती है आप जो करने वाले हैं उसके प्रति आपको अंधा बना देती है। क्या कमाल का तरीका है अभ्यास करने का। क्या कमाल का तरीका है हर रोज अभ्यास करने का। जबतक आप लॉकडाउन में हैं ताकि आप धीमे होने का अभ्यास करें। आप मत कीजिए ऐसे नहीं कि इतनी तेज आखिर जाना ही क्यों है। इसकी कोई वजह नहीं है।

तो यह कमाल का सवाल था। आप धीमे चलिए। इसे समझिए और देखिए कि आप क्या कर रहे हैं। ध्यान दें कि क्या चल रहा है! सोचकर कीजिए वह काम जो आप करने वाले हैं उन्हें बस कर देना और परिणाम के बारे में बाद में सोचना। तो उम्मीद है इससे मदद मिलेगी। यह रही एक और बात जो सोचने लायक है। “अचेत जीवन की वजह से विनाश!” “क्या यह संभव है कि परिस्थिति खराब होने की वजह से हम आज खुश होना छोड़ ही दें ? कहने की जरूरत नहीं है, मुझमें बहुत खालीपन आ गया है इस समय ?” — मिशेल

देखिए मुझे बुरा लगा कि आप में खालीपन आ गया है, नहीं होना चाहिए। क्योंकि आप तो सचेत थे। आप इससे बच सकते थे। पूरा मुद्दा यह है कि जीवन में — बात यह नहीं कि चीजों को गायब कैसे किया जाए कि आपकी मुश्किलें चली जाएं। बात यह है उनके पास से निकलने की, अपनी मुश्किलों के पास से होकर गुजर जाना। जी हां! सच में आसपास से! आपको पर्वत को देखकर नहीं कहना होता कि “मुझे तो पर्वत के ऊपर से जाना होगा।” जी नहीं! उसके आसपास का तरीका निकालिए यह कितना आसान होगा, कितना अच्छा होगा, करने में कितनी सरलता होगी और ऐसा ही होना चाहिए।!

बेहोश मत रहिए क्योंकि जीवन आपको ऐसे नहीं देखना चाहता। जीवन चाहता है कि आप सचेत रहें और सराहना करें हर रोज सबकुछ जो आपके आसपास चल रहा है। मुझे नहीं पता अगर मैंने कभी कहा हो “बेहोशी का परिणाम सर्वनाश है” — और मैं मानता हूं कि यह काफी-काफी करीब बात है सच्चाई के। और हमेशा एक बात ध्यान रखें कि आप कुछ भी बदल नहीं सकते। आपके पास विकल्प है किसी भी क्षण आप पहाड़ से नीचे आ सकते हैं और कह सकते हैं कि मैं इसके पास से जाने का रास्ता निकालूं, इसके आसपास। मैं अपनी परेशानी के पास से होकर निकल जाऊंगा। इनके समाधान निकाल कर ही रहूंगा। यह विकल्प आप कभी भी चुन सकते हैं — हमेशा ही और क्या इससे समय बर्बाद होगा ? जी नहीं! यह शायद आपको कहीं ज्यादा समय बचाकर देगा।

तो उम्मीद है इस जवाब से मदद मिले और कृपया एक जगह फंसिये नहीं; परेशान मत रहिए आप बाहर निकल सकते हैं। आपने इसमें फंसना सीखा है तो आप बाहर भी निकलना सीख सकते हैं और फिर एक बार बाहर आए ? सबसे जरूरी बात होगी कि “बचिये-बचिये और बचिये।”

तो आज केवल इतना ही समय है हमारे पास आपसे कल बात करूंगा। धन्यवाद!