लॉकडाउन प्रेम रावत जी के साथ #3 (26 मार्च, 2020)

प्रेम रावत जी:

मेरे श्रोताओं को मेरा बहुत-बहुत नमस्कार!

आज मैं चर्चा करूंगा उन चीजों की, क्योंकि काफी लोगों ने प्रश्न भेजें हैं। और अभी उन क्वेश्चनस को, उन प्रश्नों को असेम्ब्ल (assemble) किया जा रहा है, परन्तु मैंने देखा कि काफी लोग अभी भी घबराये हुए हैं इस कोरोना वायरस की वजह से। और कई लोग इस बात में भ्रमित हैं कि उन्होनें बहुत कुछ सुना है, “ऐसा करना चाहिए, ऐसा करना चाहिए, ऐसा करना चाहिए; ये करना चाहिए; वो करना चाहिए!” तो मैं डॉक्टर तो हूँ नहीं, परन्तु मैं इस बात को, जो मैंने समझी है और मैंने काफी डॉक्टरों से भी बात की है।

तो इस समय में अगर हम कुछ कर सकें तो वो दो चीजों का हम ध्यान दें। और वो है — “एक तो किसी को यह बीमारी दें ना और किसी से ये बीमारी लें ना!” बस! ना दो, ना लो! तो वह कैसे संभव होगी ?

वह तभी संभव होगी जब आप और लोगों के पास आएंगे नहीं, जाएंगे नहीं और आइसोलेशन में रहेंगे। हाथ धोइये, शरीर को धोइये, साफ रहिये और घबराने की कोई बात नहीं है। घबराने से कोई चीज सिद्ध नहीं होती है। घबराने से कोई चीज ठीक नहीं होती है। घबराने से कोई चीज अच्छी नहीं होती है। यह घबराने का समय नहीं है। यह तो सब्र रखने का समय है। सब्र रखिये अपने होश-हवाश से और जो अंदर से आपकी ताकत है, जिसे करेज़ (courage) कहते हैं, जिसे हिम्मत कहते हैं, यह उससे काम लेने की जरूरत है। उन चीजों की जरूरत है। घबराने से कुछ नहीं होगा, डरने से कुछ नहीं होगा। क्या कर रहे हैं आप — अब मैं आपको एक — आज सवेरे मैं जब सोच रहा था इसके बारे में, तो मैंने एक उदाहरण सोच

मैंने देखा है ये, कहीं अगर चूहा दिखाई दे जाये घर में, तो लोग क्या करते हैं ? उस चूहे से दूर भागते हैं या तो कोई मेज़ है उस पर चढ़ जाएंगे या कुर्सी है उस पर चढ़ जायेंगे। उससे दूर भागेंगे। बस यही करना है! दूर भागना है ताकि वो बीमारी आप तक ना पहुंचें। यह सबसे साधारण बात है और इस बात का ध्यान रहे कि आपके अंदर वह ताकत है, जिससे कि आप इन परिस्थितियों में, इस समय में अच्छी तरीके से, आनंद से यह समय गुजार सकते हैं।

देखिये सब्र की बात है! यह भी एक दिन नहीं रहेगी। सब्र की बात है! सब्र करना है, यह नहीं है कि “अब क्या होगा, अब क्या होगा, अब क्या होगा, अब क्या होगा!” क्योंकि मन है —

मन के बहुत तरंग हैं, छिन छिन बदले सोय।

एक ही रंग में जो रहे, ऐसा बिरला कोय।।

इधर-उधर की बातें नहीं, पर स्पष्ट बात। जो समझ में आये, जिससे कि फिर हम अपने जीवन के अंदर उस आनंद को न भूलें। ठीक है, परिस्थिति ठीक नहीं है, बहुत कुछ हो रहा है। फिर भी हृदय को तो आनंद चाहिए। और वह आनंद उस हृदय को अब भी मिल सकता है। वह आपके अंदर है, वह बाहर से नहीं आएगा, वह आपके अंदर है, उसका आप आनंद लें। उसको आप खोजें कि, “कहाँ है वो चीज, जो आपके अंदर है ?”

जिन लोगों को यह ज्ञान है, उनलोगों के लिए तो बड़ी सरल बात है। उनको मालूम है कि वह चीज कहाँ है! जैसे मैंने पहले भी कहा है कि “अपने आपको जानो, यह बात बहुत जरूरी है। अपने आपको समझो, यह बात बहुत जरूरी है।” क्योंकि अगर ये चीजें हम नहीं समझ सके इस जीवन के अंदर तो कब समझेंगे। जो कुछ भी हो रहा है, यह तो एक मौका है। इसका भी आप फायदा उठा सकते हैं। अगर आप चाहें तो इसका भी आप फायदा उठा सकते हैं। ये परिस्थितियां अच्छी नहीं हैं। बाहर जो यह परिस्थिति है, वह अच्छी नहीं है। परन्तु अंदर जो परिस्थिति है, वह तो अच्छी है। तो अगर आपको बाहर नहीं पसंद है तो आप अन्तर्मुख होइये। अंदर की तरफ जाइये, अपने हृदय की तरफ जाइये।

जो बातें हमको संत-महात्माओं ने कितने ही वर्षों से, कितने ही हजारों-हजारों वर्षों से वो बात कही है कि —

नर तन भव वारिधि कहुं बेरो।

इस भव सागर से पार उतरने का यह साधन है।

सनमुख मरुत अनुग्रह मेरो।।

इस स्वांस का आना-जाना ही मेरी कृपा है।

तो क्या आपके ऊपर यह कृपा नहीं हो रही है ? यह स्वांस जो आपके अंदर आ रहा है, जा रहा है, क्या उस परमेश्वर की, जो आशीर्वाद है वह आपके ऊपर नहीं आ रहा है ? आ रहा है! पर इस बात को आप समझिये। अपने आपको इन परिस्थितयों के कारण, यह कहना कि मेरा यह दुर्भाग्य है, ये है, वो है। ये बातें सब अच्छी नहीं हैं। इनकी जरूरत नहीं है। जरूरत है उस चीज की, कि वो दिया, जिस दीये से मेरे अंदर का अंधकार मिट सकता है, वह दिया मेरे अंदर है। उसको जलाना बहुत जरूरी है। जब वह जलेगा तो उसके प्रकाश से जो अँधेरा है वो खतम होगा। उसका नाश होगा। जब अँधेरे का नाश होगा तो क्या दिखाई देगा? जो स्पष्ट है, जो असली है। यह असली नहीं है।

2019 में अप्रैल में या मार्च में किसी को ख्याल भी नहीं था इसके बारे में कि कोरोना वायरस क्या होती है। उसके बाद फिर जब अंत का समय आया 2019 का, तब लोगों को खबर पड़ी कि “हां! ये चीज है, अब ये करना चाहिए, वो करना चाहिए। इससे इतने लोग मर गए!”

जब चाइना में लोग मर रहे थे तब फिर किसी को हिन्दुस्तान में यह डर भी नहीं था कि कुछ होगा। सब ठीक था। पर धीरे-धीरे-धीरे करके जब यह सारे संसार में फैलने लगा, तो लोगों को डर लगने लगा। पर डर की बात नहीं है। कितने ही हजारों-हजार लोग जिनको यह वायरस लगी, वो ठीक हो गए, वो ठीक हो गए। अब सारे नंबर, बहुत बड़े हैं नंबर, परंतु वो ठीक हो गए। तो सबसे बड़ी बात यही है कि हम अपने जीवन में क्या चाहते हैं ? कोई भी परिस्थिति आये, अच्छी से अच्छी परिस्थिति आये, खराब से खराब परिस्थिति आये। ऐसी भी परिस्थिति आये जिसमें डरने की बात हो, फिर भी मनुष्य डरे नहीं, हिम्मत से काम ले और वो हिम्मत की जो एनर्ज़ी (Energy ) है वह कहाँ से आएगी ? वह आपके घट से आएगी! वह आपके अंदर से आएगी।

आज यही चीजें मैं लोगों को बताता हूँ कि “भाई! बाहर की दुनिया एक है, अंदर की दुनिया एक है।” इसमें दो बातों को समझो — जो बाहर की दुनिया है यह बाहर की दुनिया है। इसमें सबकुछ बदलता रहता है। कोई चीज इस बाहर की दुनिया में स्थायी नहीं है। कोई कुछ करता है, कोई कुछ करता है, कोई कुछ करता है, कोई कुछ करता है।

परंतु यह अंदर की जो दुनिया है, जो अंदर की दुनिया है, यह स्थायी है। इसमें ये नहीं हो रहा है, वो नहीं हो रहा है, वो — इसमें एक चीज हो रही है। क्या हो रहा है कि —

सनमुख मरुत अनुग्रह मेरो।।

इस स्वांस का आना-जाना ही मेरी कृपा है।

अब लोग तो भागते हैं, “हमको ये कर दो, वो कर दो, वो कर दो।” उटपटांग बातें — “वहां बारह कुओं से पानी पी लो, ये कर लो, वो कर लो, तो तुम्हारा ये हो जायेगा, तुम्हारा वो हो जायेगा।”

लोगों को बेवकूफ बनाने की बात है। परन्तु तुम्हारे अंदर हर एक स्वांस में यह प्रभु की कृपा है। इसके बारे में कोई बात नहीं करना चाहता। इसके बारे में मैं बात करता हूँ। क्योंकि यह असली चीज है। इसके होने से आप हो, इसके न होने से आप नहीं होंगे।

जब आप पैदा हुए, तो सबसे बड़ी चीज क्या थी कि आप स्वांस ले रहे हो या नहीं ? उस समय जब आप आये बाहर तो ये नहीं था कि यह लड़का है या लड़की है। ना! स्वांस ले रहा है या नहीं ले रहा है ? यह जो बच्चा आया है, यह स्वांस ले रहा है या नहीं ले रहा है ? और जब अंत का समय आता है, तब फिर स्वांस पर ही बात आती है कि स्वांस ले रहा है या नहीं ले रहा है ? नहीं ले रहा है — तो गया! ले रहा है — तो ठीक है!

जब आप बच्चे थे, जब आप आये — स्वांस ले रहा है या नहीं ले रहा है यह बच्चा ? ले रहा है, तो ठीक है। नहीं ले रहा है, तो गड़बड़ है। और जब स्वांस ली, तब आप जिंदा हुए। जब सांस रुकी, आप गए! इसी के लिए कहा है कि “यही है मेरी कृपा।” और जब तक यह आ रहा है, जा रहा है आप में, तो आपको डरने की क्या जरूरत है। जब तक आप जिंदा हैं आपको डरने की कोई जरूरत नहीं है। डर से कुछ नहीं होगा। जीते जी आनंद से अपनी दुनिया, अपने जीवन को बितायें।

समझें कि यह कितनी अच्छी चीज आपको मिली हुई है। यह जो जीवन है, यह ज्ञान है, अपने आपको जानो। सचेत होकर के इस जीवन को बिताओ और हृदय में आभार को महसूस करो। उसका आनंद लो। नाम ही है सच्चिदानंद! ‘सच’ सब चीजों का आनंद के लिए, आनंद के लिए, आनंद के लिए, आनंद के लिए! और समय आएगा, यह भी चला जाएगा, यह कोरोना वायरस, यह डर, सब, सब नॉर्मल होगा। परंतु यह जो समय है, इसमें आप डर के इसको गवां सकते हैं, फेंक सकते हैं ?

पहचान करने की बात है। हर दिन जो आप बिता रहे हैं, आप अपने साथ बिता रहे हैं। अब लोगों के साथ यह भी दिक्कत है कि अपने रिश्तेदारों के साथ, अपनी वाइफ के साथ या अपनी मिसेज़ के साथ या अपने पति के साथ या अपनी बहन के साथ या अपने भाई के साथ या अपने बेटों के साथ या अपने पापा के साथ या अपनी मम्मी के साथ लोग समय बिता रहे हैं। अरे भई! इनसे तुम प्यार करते हो। इनसे नफरत कब से हो गयी चालू ? इनसे तुम प्यार करते हो। समझो इस बात को कि इनसे तुम प्यार करते हो! ये तुम्हारे ही हिस्से हैं। इनसे नफरत करके क्या मिलेगा तुमको ? जो कुछ भी है अगर तुम उनसे नफरत करते हो तो यह नफरत तुम्हारे अंदर से आ रही है।

तो अगर समझ में आया तो सबके साथ मिलकर-जुलकर आनंद से यह समय बिताया जाए। अगर बिता सके आनंद से तो वाह-वाह है। यह समय भी आसानी से बीत जाएगा। सब्र करो! यह सहनशक्ति लोगों में अब रह नहीं गयी है। सब्र करना लोगों को आता नहीं है और यह सब्र करने का एक मौका है। सीखने का एक मौका है। सब्र से, धीरज से, हिम्मत से काम लेने का यह समय है। और वही बात, चाहे यह हो या न हो आनंद लेना है। और जिनके पास यह आनंद लेने की विधि है, वह आनंद लें। जिनके पास नहीं है वो जानें कि जिस आनंद की उनको खोज है, वह अभी भी उनके अंदर है और रहेगा। जब तक यह स्वांस आ रहा है, जा रहा है, तब तक यह आनंद तुम्हारे अंदर है। आखिरी स्वांस तक तुम्हारे अंदर है। अगर कुछ न भी हो तो इस बात को समझो और अपने जीवन को सफल बनाओ।

तो सभी श्रोताओं को मेरा बहुत-बहुत नमस्कार!